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तलाश...

हर किसी को अपने हिस्से के आसमान की  है   तलाश  उस आसमान को छूने की हर मन में दबी   है   एक आस  मंज़िल बहुत दूर नहीं ,   यहीं-कहीं  है   आस-पास  हर किसी को अपने हिस्से के आसमान की   है   तलाश  उस आसमान को छूने की हर मन में दबी  है   एक आस चलते-चलते ,   उड़ते-उड़ते कहीं कम न हो प्यास मन में अगर हौसला है तो फिर क्या बात उस ऊंचाई को पाने की ललक सपनों   में हो   उस आस का   एक   छोर इस   उम्मीद से बंधा हो   कि कभी तो अपने हिस्से को छू   लेंगे हम   बदलेगा कभी तो अपनी क़िस्मत का रंग इन्द्रधनुष के सभी रंग उस पल होंगे अपने   संग सूरज की तरह आसमान में चमकने की है   चाह लेकिन   मालूम है बहुत कठिन है ये राह   इन राहों में भी  कहीं  तो  होंगे  कुछ पलाश   हर किसी को अपने हिस्से के आसमान की  है   तलाश  उस आसमान को छूने की हर मन में दबी   है   एक आस  मंज़िल बहुत दूर नहीं ,   यहीं-कहीं  है   आस-पास  हर किसी को अपने हिस्से के आसमान की   है   तलाश...