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इन सवालों का जवाब तुम्हारे पास ही है!

अब फिर ऐसा ना होगा, माना मुझसे भूल हुई उस ख़ता की इतनी बड़ी सज़ा, सदियों पर क़हर करो ना. अब फिर ऐसा ना होगा, माना मुझसे भूल हुई.  अब फिर ऐसा ना होगा, फिर ऐसा ना होगा. क्या बीतेगी उन लम्हों पर, जो साथ गुज़ारे हमने? क्या होगा उन क़समों-वादों का, जो किये थे हमने उस पल? कैसे बीतेगी मेरी तन्हाई, जो थी आबाद तुम्हारे संग? क्या होगा मेरी धड़कन का, जो थमने लगी है इस पल? कैसे मिटेगा उन यादों का सफ़र, जो दिल की गहराई में बसा है? क्या होगा उन सपनो का, जो बुने थे हमने मिल कर? क्या बीतेगी उन पेड़ों पर, जिनके साए में गुज़ारी थी शामें हसीं? क्या होगा मेरी उन सांसों का, जिन्होंने तय किया दिल से दिल का फ़ासला? क्या क़सूर उन लफ़्ज़ों का, जो ख़तों में बंद यादों को रोते? क्या होगा उन राहों का, जो तुम्हारे साथ के गवाह रहे हैं? क्या होगा उस तूफ़ान का, जो सीने में उठने को तैयार है? क्या होगा इन आँखों का, जिनमे तस्वीर तुम्हारी बसी है? क्या होगा उन गुलाब के फूलों का, जो ख़तों में तुम्हारे छिपें हैं? क्या होगा उन यादों का, जो हर सांस के साथ ज़िंदा है? क्या होगा मेरे दिल का, हर धड़कन जिसकी नाम तुम

एक बार फिर कोशिश करके देख ले

ये कविता उन लोगों के लिए है जो अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए बहुत मेहनत करते है, लेकिन उस बिंदु पर आकर वो लोग निराश हो जाते है जब उनका लक्ष्य बिल्कुल उनके क़रीब होता है. एक ज़रा सी कोशिश उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचा सकती है... एक बार फिर कोशिश करके देख ले शायद वो मिल जाये जिसकी तुझे है  ख्वाहिश थोड़ा सा और भी खपकर देख ले अभी मुट्ठी में है रेत, कोई फ़र्क़  नहीं लक्ष्य यहीं पास में उसे तो भेद  जहाँ इतना ज़ोर लगाया एक बार फिर कोशिश करके देख ले बहुत लम्बा सफ़र तय किया है तूने अब रास्ता बीच में छोड़ न देना इतना नज़दीक पहुँच कर आख़िर में यूँ हताश न होना  जो सपना देखा है तूने उसे साकार भी तो करना है  मंज़िल पर पहुँच कर ही अब सांस लेनी है जो की है मेहनत, उसका  फल भी तो लेना है क्या हुआ, जो पहले नहीं मिला   भविष्य के गर्भ में तो देख वो लिखा हो क़िस्मत में  तेरी लेकिन उस से  पहले एक बार फिर कोशिश करके देख ले  थोड़ा और भी खप कर देख ले  एक बार फिर कोशिश करके देख ले