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काश! कि मैं, तुम और तुम, मैं बन सकते

काश! काश! कि मैं, तुम और तुम, मैं बन सकते  तभी तुम्हें मालूम हो सकता मेरे दिल का हाल तुम मेरे दिल में देखते  मैं तुम्हारे दिल में झांक लेता  तुम्हारे लिए मेरे दिल में  प्यार का कितना बड़ा  समंदर मेरे अनकही बातों को तुम समझ लेते  अब तुम्हारी  चुप्पी को मैं जान लेता  तुम्हारी यादों को कैसे मैंने संजोया है उन पलों का किस्सा भी इसमें  जब ये फूट फूट रोया है  उस वक़्त का हिस्सा भी ज़रूर होगा तुम्हारे दिल में  जब मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है काश! काश! कि मैं, तुम और तुम, मैं बन सकते  तभी तुम्हें मालूम हो सकता मेरे दिल का हाल  तुम मेरे दिल में देखते  मैं तुम्हारे दिल में झांक लेता तुम भी साँझ लेती  कि थे वो मेरे ऐसे ही हालात जिन्हें तुम बहाने समझती थी तब होता इल्म तुम्हें जिन्हें तुम राज़ समझती थी  कुछ ग़लतफ़हमियाँ मेरी भी दूर होती  काश! काश! कि मैं, तुम और तुम, मैं बन सकते  तभी तुम्हें मालूम हो सकता मेरे दिल का हाल तुम मेरे दिल में देखते  मैं तुम्हारे दिल में झांक लेता