इन सवालों का जवाब तुम्हारे पास ही है!
अब फिर ऐसा ना होगा, माना मुझसे भूल हुई उस ख़ता की इतनी बड़ी सज़ा, सदियों पर क़हर करो ना. अब फिर ऐसा ना होगा, माना मुझसे भूल हुई. अब फिर ऐसा ना होगा, फिर ऐसा ना होगा. क्या बीतेगी उन लम्हों पर, जो साथ गुज़ारे हमने? क्या होगा उन क़समों-वादों का, जो किये थे हमने उस पल? कैसे बीतेगी मेरी तन्हाई, जो थी आबाद तुम्हारे संग? क्या होगा मेरी धड़कन का, जो थमने लगी है इस पल? कैसे मिटेगा उन यादों का सफ़र, जो दिल की गहराई में बसा है? क्या होगा उन सपनो का, जो बुने थे हमने मिल कर? क्या बीतेगी उन पेड़ों पर, जिनके साए में गुज़ारी थी शामें हसीं? क्या होगा मेरी उन सांसों का, जिन्होंने तय किया दिल से दिल का फ़ासला? क्या क़सूर उन लफ़्ज़ों का, जो ख़तों में बंद यादों को रोते? क्या होगा उन राहों का, जो तुम्हारे साथ के गवाह रहे हैं? क्या होगा उस तूफ़ान का, जो सीने में उठने को तैयार है? क्या होगा इन आँखों का, जिनमे तस्वीर तुम्हारी बसी है? क्या होगा उन गुलाब के फूलों का, जो ख़तों में तुम्हारे छिपें हैं? क्या होगा उन यादों का, जो हर सांस के साथ ज़िंदा है? क्या होगा मेरे दिल का, हर धड़कन जिसकी नाम तुम