सिर्फ, दो मिनट का मेला


सिर्फ, दो मिनट का मेला लगता है यहाँ
क्या कभी आपने देखा है ये जहाँ
ये मेला लगता है आपके, मेरे शहर के हर उस चौराहे पर
जहाँ गाड़ियों का काफिला सिर्फ दो मिनट के लिए रुकता है.
मेले में सौदागर भी आतें है
दो मिनट की दुकान लगाते है
और फिर, किनारे के फुटपाथ पर खड़े हो जाते हैं.
और इंतज़ार करते है अगली बार होने वाली लाल बत्ती का
ताकि गाड़ियों का काफिला फिर आ कर रुके.
और वो कर सके अपने लिए दो वक्क्त की रोटी का जुगाड़
फूल, खिलौने, तिरंगा झंडा ....... न जाने क्या-क्या बिकता यहाँ
सिर्फ, दो मिनट का मेला लगता है यहाँ
गाड़ियों के शीशे बंद होने लगते, गर्दन घूम जाती हैं इन्हें देख कर
लेकिन फिर भी, कुछ तो इनसे ले लेते फूल अपने प्रियसी को सोच कर
शायद सारे संसार में यही ऐसे सौदागर हैं जो चाहते हैं कि शहर भर में जाम लगे
सुबह-शाम इनके मेले में गाड़ियों से चार चाँद लगे
जब अगली बार आप भी गुजरने लगे ऐसे ही चौराहे से
तो ज़रूर हो शामिल ऐसे किसी मेले में
देख ले इन सौदागरों को सौदा करते
हो सके तो कुछ खरीद ले इन अनोखे सौदागरों से....... 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छा लिखते है आप, मेरी शुभकामनाये ....मुझे भी कविताये लिखने का शोंक है, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
    http://sparkindians.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. कम से कम विषय में नवीनता है। यह दृष्टि बनाए रखें।

    जवाब देंहटाएं
  3. इस सुंदर से नए ब्‍लॉग के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  4. लेखन अपने आपमें रचनाधर्मिता का परिचायक है. लिखना जारी रखें, बेशक कोई समर्थन करे या नहीं!
    बिना आलोचना के भी लिखने का मजा नहीं!

    यदि समय हो तो आप निम्न ब्लॉग पर लीक से हटकर एक लेख
    "आपने पुलिस के लिए क्या किया है?"
    पढ़ा सकते है.

    http://baasvoice.blogspot.com/
    Thanks.

    जवाब देंहटाएं

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