जा रहे हो तुम मेरे शहर...
जा रहे हो तुम मेरे शहर
ज़रा तुम मुझसे मिल कर जाना
कुछ बाते कहनी है तुम से
ज़रा दो घड़ी का समय मुझे देते जाना
कुछ सामान नहीं देना है तुम को
बस एक छोटा-सा काम है तुमसे
कुछ कहनी है बातें, अपने शहर की तुम से
बहुत-सी यादें तो मैं अपने साथ ले आया
लेकिन अभी भी बहुत सी यादें छूट ही गयी हैं
उन्हें ज़रा तुम लेते आना
जा रहे हो तुम मेरे शहर
ज़रा तुम मुझसे मिल कर जाना
कुछ बाते कहनी है तुम से
ज़रा दो घड़ी का समय मुझे देते जाना
कहना मेरे शहर से तुम
कि उसे याद करके मैं अभी भी रोता हूं
बंद कमरे में उसकी यादों को संजोता हूं
अपने शहर वो गलियां याद आती हैं
जहाँ गुज़ारी शामें, अपनी जिंदगी की मैंने हंसी
जिन्हें सोच आ जाती है, आँखों में अब भी नमी
कोई कमी नहीं इस नए शहर में
लेकिन अपना शहर तो अपना ही होता है
तभी तो उसे याद कर, हर एक अकेले में रोता है
इस नए शहर में दिल लगाने की जितनी भी कोशिश करता हूं
जाने क्यों, उतना अपने ही से लड़ता हूं
फिर ये सोच कर अपने दिल को तसल्ली देता हूं
कि ढूंढ लेंगे इस शहर में भी अपनापन
इसी कोशिश में बीत रही है हर एक सहर
जा रहे हो तुम मेरे शहर
ज़रा तुम मुझसे मिल कर जाना
कुछ बाते कहनी है तुम से
ज़रा दो घड़ी का समय मुझे देते जाना...
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