अदम गोंडवी की कुछ रचनाएं




वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बँगले में आई है

इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्‍नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है

कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले
हमारा मुल्‍क इस माने में बुधुआ की लुगाई है

रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है



तुम्‍हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है

तुम्‍हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है

उधर जमहूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो
इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है, नवाबी है

लगी है होड़-सी देखो अमीरी औ' गरीबी में
ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है

तुम्‍हारी मेज चाँदी की तुम्‍हारे ज़ाम सोने के
यहाँ जुम्‍मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है


घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है

भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है

बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है

सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास हो कैसे
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है




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