क्योंकि मिस्र ने अब हमें नई राह दिखाई है...
मिस्र की जनता को तानाशाह हुस्ने मुबारक से आज़ाद होने पर मुबारक़ और साथ ही दुनियां के दूसरे देशों की जनता को राह दिखाने के लिए धन्यवाद. सारी दुनिया इस जन क्रांति को बरसों तक याद रखेगी. अहिंसा क्या होती है? जन आन्दोलन क्या होता है? मिस्र की जनता ने दिखा दिया. आख़िर इस दुनिया को महात्मा गांधी के अहिंसा के सूत्र की मज़बूती का अंदाज़ा लग गया होगा. इसलिए सावधान हो जाओ दुनिया को मन मर्ज़ी से चलाने वालों क्योंकि जनता अभी आती है. यमन, जोर्डन, सीरिया, अल्जीरिया, इटली, म्यांमार में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन इसी बात का संकेत देते हैं कि जनता को राह तो मिल गयी है, बस मंज़िल तक पहुँचने की देर है.
इधर भारत में भी मिस्र की इस जन क्रांति के असर की बात हो रही है कि भारत की जनता अभी तक शांत क्यों है? क्या ये तूफ़ान के आने से पहले की शांति है? जिस भारत के महात्मा गांधी ने दुनियां को अहिंसा का पाठ पढ़ाया, क्या उसी भारत की जनता अहिंसा के अस्त्र को भूल चुकी है? हम मूक दर्शक बन कर अपनी सरकार के कारनामों को देख रहे हैं. आख़िर ये मौन कब टूटेगा? हम कब जागेंगे? दूसरों को लोकतंत्र की महिमा बता कर आज हम उसी लोकतंत्र को देख, समझ और भुगत रहे हैं.
क्या मिस्र में आने वाला लोकतंत्र ऐसा ही होगा? क्या सरकार ऐसे ही बनेगी? क्या गठबंधन के धर्म देश की क़ीमत पर ऐसे ही निभाए जायेंगे? क्या जनता की सरकार जनता को ही किनारे कर देश का विकास भ्रष्टाचार से करेगी? क्या सरकार अपने ही लोगों को भूखा मरने के लिए छोड़ कर देश का अनाज गोदामों में सड़ने को छोड़ देगी? क्या देश का सर्वोच्च न्यायालय सरकार को नसीहतें दे देकर थक जायेगा और आख़िर में अपने हाथ खड़े कर देगा? क्या जनता पांच या कुछ सालों के लिए अपनी क़िस्मत उन लोगों के हाथ में छोड़ देगी जिसके पास उस आदमी के बारे में सोचने का समय नहीं है जिसने उसे फर्श से अर्श पर पंहुचाया है? क्या सरकार देश के अंदर और बाहर के दुश्मनो से यूँ ही निपटेगी? और कहाँ तक और क्या-क्या लिखें?
क्या मिस्र और दूसरे देशों को, जहाँ आज अपनी-अपनी सरकारों को हटाने के लिए प्रदर्शन हो रहे है, हम लोकतंत्र का ऐसा उदाहरण देगें? आख़िर हम दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का गर्व करतें हैं. हम कैसे और किस लोकतंत्र में रह रहे हैं? सोचें और जवाब हम अपने आप से पूछें. इस प्रश्न का उत्तर भी मिलेगा. लेकिन हम अपनी सोच को सकारात्मक ज़रूर रखें क्योंकि मिस्र ने अब हमें नई राह दिखाई है या यूँ कहे कि उस राह का पता बताया है जिसे हम शायद भूल गए थे...
इधर भारत में भी मिस्र की इस जन क्रांति के असर की बात हो रही है कि भारत की जनता अभी तक शांत क्यों है? क्या ये तूफ़ान के आने से पहले की शांति है? जिस भारत के महात्मा गांधी ने दुनियां को अहिंसा का पाठ पढ़ाया, क्या उसी भारत की जनता अहिंसा के अस्त्र को भूल चुकी है? हम मूक दर्शक बन कर अपनी सरकार के कारनामों को देख रहे हैं. आख़िर ये मौन कब टूटेगा? हम कब जागेंगे? दूसरों को लोकतंत्र की महिमा बता कर आज हम उसी लोकतंत्र को देख, समझ और भुगत रहे हैं.
क्या मिस्र में आने वाला लोकतंत्र ऐसा ही होगा? क्या सरकार ऐसे ही बनेगी? क्या गठबंधन के धर्म देश की क़ीमत पर ऐसे ही निभाए जायेंगे? क्या जनता की सरकार जनता को ही किनारे कर देश का विकास भ्रष्टाचार से करेगी? क्या सरकार अपने ही लोगों को भूखा मरने के लिए छोड़ कर देश का अनाज गोदामों में सड़ने को छोड़ देगी? क्या देश का सर्वोच्च न्यायालय सरकार को नसीहतें दे देकर थक जायेगा और आख़िर में अपने हाथ खड़े कर देगा? क्या जनता पांच या कुछ सालों के लिए अपनी क़िस्मत उन लोगों के हाथ में छोड़ देगी जिसके पास उस आदमी के बारे में सोचने का समय नहीं है जिसने उसे फर्श से अर्श पर पंहुचाया है? क्या सरकार देश के अंदर और बाहर के दुश्मनो से यूँ ही निपटेगी? और कहाँ तक और क्या-क्या लिखें?
क्या मिस्र और दूसरे देशों को, जहाँ आज अपनी-अपनी सरकारों को हटाने के लिए प्रदर्शन हो रहे है, हम लोकतंत्र का ऐसा उदाहरण देगें? आख़िर हम दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का गर्व करतें हैं. हम कैसे और किस लोकतंत्र में रह रहे हैं? सोचें और जवाब हम अपने आप से पूछें. इस प्रश्न का उत्तर भी मिलेगा. लेकिन हम अपनी सोच को सकारात्मक ज़रूर रखें क्योंकि मिस्र ने अब हमें नई राह दिखाई है या यूँ कहे कि उस राह का पता बताया है जिसे हम शायद भूल गए थे...
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