इजाज़त

खिलखिला कर हँसना तो चाहता हूं,
लेकिन मेरे हालात मुझे इजाज़त नहीं देते.
रोना भी तो चाहता हूं,
लेकिन मेरे आंसू मुझे इजाज़त नहीं देते.
आसमान में ऊंची उड़ान तो भरना चाहता हूं,
लेकिन टूटे पंख इजाज़त नहीं देते.
ज़मीं पर भी तेज़ चलना चाहता हूं,
लेकिन रास्तों के अनजाने मोड़ मुझे इजाज़त नहीं देते.
अपने पर भरोसा तो बहुत है,
लेकिन मंजिल की दूरी इजाज़त नहीं देती.
सपने तो देखना चाहता हूं,
लेकिन मेरी सूनी आँखे मुझे इजाज़त नहीं देती.
जिंदगी के सवालों से उलझना तो चाहता हूं,
लेकिन कशमकश मुझे इजाज़त नहीं देती.
हवा का रुख़ मोड़ना तो चाहता हूं,
लेकिन मुझे ये तूफ़ान इजाज़त नहीं देता. 
कोशिश तो करना चाहता हूं,
लेकिन नाकामयाबी  का डर इजाज़त नहीं देता. 
अपने अन्दर बदलाव तो लाना चाहता हूं,
लेकिन अंतर्मन इजाज़त नहीं देता.
लक्ष्य को साधना तो चाहता हूं,
लेकिन भटकता मन इसकी इजाज़त नहीं देता.   
आने वाले कल को देखना तो चाहता हूं,
लेकिन मेरा आज इसकी इजाज़त नहीं देता.
ख़ुशनुमा लम्हों का इंतज़ार तो करना चाहता हूं,
लेकिन मेरी बेसब्री इजाज़त नहीं देती.  
अपनी ज़िंदगी को जीना तो चाहता हूं,
लेकिन कम होते लम्हे मुझे इजाज़त नहीं देते.
और भी बहुत कुछ लिखना तो चाहता हूं,
फ़िलहाल वक़्त की कमी इजाज़त नहीं देती.



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