क्या थामोगी तुम मेरा हाथ

तुम्हारा इंतज़ार रहेगा जिंदगी के हर मोड़ पर
उस मोड़ पर भी जब सभी छोड़ देंगे मेरा साथ
जब तलाश होगी किसी अपने की
क्या तुम थामोगी उस वक़्त मेरा हाथ?
तुम्हे ही दूर तक साथ जाने के लिए चुना है मैंने 
उम्मीदों के साये मैं सपना बुना है मैंने.
पता नहीं कितनी दूर का साथ है मेरा तुम्हारा 
पर जब तक है साथ तुम्हारा 
ये सफ़र यादगार होगा
बस दो लोगों का ही कारवां होगा
सांसों के ज़रिये बातें होगी 
कुछ अपनी कुछ बेगानी होंगी
ये ज़माना समझे न समझे
पर तुम जो समझो तो मुझे वो हर बात बतानी होगी
देंगे तुम्हारे हर सवाल का जवाब 
लेकिन उससे पहले तुम्हे देना होगा मेरा साथ
उस मोड़ पर भी जब सभी छोड़ देंगे मेरा साथ

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

छपरा का रेडियो मयूर 90.8 और मेरी यादें...

भारत-चीन युद्ध: फ़िलहाल कोई आसार नहीं

हमारे आशियाने