आइये इस नए बिहार की उन्नति के लिए अब दुआ करें...


नीतीश बाबू अब प्रचंड बहुमत के साथ दुबारा सत्ता में लौटे हैं. बिहार की नई उम्मीदों, नई आशाओं के साथ इस देश को भी अब आस है कि बिहार में वो सब होगा जिससे अब तक बिहार वंचित रहा है. जवानी का पलायन, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, क़ानून  व्यवस्था, अब भी ये समस्याएं हैं जो नीतीश कुमार का समय-समय पर इम्तिहान लेंगी. राष्ट्रीय जनता दल २२ सीटें,  कांग्रेस ४ और लोक जन शक्ति पार्टी ३ सीटें,  अन्य ८ - ये विपक्ष की इन ताज़ा चुनावों के बाद की स्थिति है. विपक्षरहित सदन उन्हें सत्ता में खुले हाथ अपने पारी खेलने की इजाज़त ज़रूर देता है लेकिन ये पारी अवरोधों रहित होगी या नहीं ये तो समय ही बताएगा. जो वादे बिहार की जनता से चुनाव के दौरान हुए थे उन वादों को पूरा करने के लिए पांच साल का समय नीतीश कुमार को मिल गया है. अब ये नीतीश कुमार पर निर्भर करता है कि वो इन पांच सालों का उपयोग किस तरह करते हैं - जनता की सेवा में या फिर और किसी कार्यों में. बिहार की जनता ने अब जाति को किनारे कर विकास को वोट दिया है. ये विकास उन बिहारवासियों की आस है जो महाराष्ट्र में पिटते हैं, पंजाब के खेतों में जान खपाते हैं, राजस्थान या उत्तराखंड में मजदूरी करतें है. यही विकास ही उन्हें अब अपने बिहार की तरफ फिर से खींचकर लायेगा. भारत में राजनीति का इतिहास रहा है कि केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टी की सरकारों के होने पर आरोप प्रत्यारोप का दौर चलते रहें है.  नीतीश सरकार का पिछला कार्येकाल भी इसका अपवाद नहीं है चाहे वो कोसी नदी का मुद्दा हो या मनरेगा का या फिर सड़कों का. अब हम उम्मीद कर सकतें हैं कि केंद्र की सप्रंग सरकार और बिहार सरकार के अच्छे रिश्तों हो और इनका लाभ बिहारवासियों को मिले. आइये इस नए बिहार की उन्नति के लिए अब दुआ करें.

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